सिरौटे हावाले
हैसियत उठायो मझेरीबाट 
र, लेराइ छाड्दियो
'बीच शहरमा' 
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देख्दैछु
बुद्ध र आनी 
वन्न सक्ने नानीहरू
टुहुरा भइ 
गल्लितिर भौतारिएका 
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वागमतिसँगै 
रहर बगे तराइतिर
शहर कहिल्यै नफर्किने गरि
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उद्देश्य छुन 
उड्नु अघि
बारिका कान्ला नाघ्दै
अक्षरका कक्षा छाडि
कुद्देका क्षण र ल्याकत सम्झिदैछु
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आफै;
आर्जित ल्याकतको महत्व 
हैसियत बिर्सिनेलाइ के'था ?
टुप्पो चुम्नेले  
कहिल्य 
छाड्दैन धरातल 
@ सन्तोष पौडेल - सन्तु
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